♦ जन्म - महाभारत काल
♦ मृत्यु - यदुवंशी श्रीकृष्ण द्वारा छल से
♦ पिता - महाराज हिरण्यधनु
♦ माता - रानी सुलेखा
♦ बचपन का नाम - अभिद्युम्न ( अभय )
♦ जीवन से शिक्षा -
1. अपने लक्ष्य के प्रति लगन होना
2. समस्याओँ से डट कर सामना करना
3. माता पिता और गुरू का आदर करना
4. मन लगाकर परिश्रम करना
आदि आदि
एकलव्य निषाद वंश के राजा थे l
निषाद वंश या जाति के संबंध मेँ सर्वप्रथम उल्लेख "तैत्तरीय संहिता" मेँ मिलता है जिसमेँ अनार्योँ के अंतर्गत निषाद आता है l
"एतरेय ब्राह्मण" ग्रन्थ उन्हेँ क्रूर कर्मा कहता है और सामाजिक दृष्टि से निषाद को शूद्र मानता है l
महाभारत काल मेँ प्रयाग (इलाहाबाद) के तटवर्ती प्रदेश मेँ सुदूर तक फैला श्रृंगवेरपुर राज्य एकलव्य के पिता निषादराज हिरण्यधनु का था l गंगा के तट पर अवस्थित श्रृंगवेरपुर उसकी सुदृढ़ राजधानी थी l
उस समय श्रृंगवेरपुर राज्य की शक्ति मगध, हस्तिनापुर, मथुरा, चेदि और चन्देरी आदि बड़े राज्योँ के समकक्ष थी l निषाद हिरण्यधनु और उनके सेनापति गिरिबीर की वीरता विख्यात थी l
निषादराज हिरण्यधनु और रानी सुलेखा के स्नेहांचल से जनता सुखी व सम्पन्न थी l राजा राज्य का संचालन आमात्य (मंत्रि) परिषद की सहायता से करता था l
निषादराज हिरण्यधनु को रानी सुलेखा द्वारा एक पुत्र प्राप्त हुआ जिसका नाम "अभिद्युम्न" रखा गया l प्राय: लोग उसे "अभय" नाम से बुलाते थे l
पाँच वर्ष की आयु मेँ एकलव्य की शिक्षा की व्यवस्था कुलीय गुरूकुल मेँ की गई l
बालपन से ही अस्त्र शस्त्र विद्या मेँ बालक की लगन और एकनिष्ठता को देखते हुए गुरू ने बालक का नाम "एकलव्य" संबोधित किया l
एकलव्य के युवा होने पर उसका विवाह हिरण्यधनु ने अपने एक निषाद मित्र की कन्या सुणीता से करा दियाl
एकलव्य धनुर्विद्या की उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता था l उस समय धनुर्विद्या मेँ गुरू द्रोण की ख्याति थी l पर वे केवल ब्राह्मण तथा क्षत्रिय वर्ग को ही शिक्षा देते थे और शूद्रोँ को शिक्षा देने के कट्टर विरोधी थे l
महाराज हिरण्यधनु ने एकलव्य को काफी समझाया कि द्रोण तुम्हे शिक्षा नहीँ देँगेl
पर एकलव्य ने पिता को मनाया कि उनकी शस्त्र विद्या से प्रभावित होकर आचार्य द्रोण स्वयं उसे अपना शिष्य बना लेँगेl
पर एकलव्य का सोचना सही न था - द्रोण ने दुत्तकार कर उसे आश्रम से भगा दियाl
एकलव्य हार मानने वालोँ मेँ से न था और बिना शस्त्र शिक्षा प्राप्त तिए वह घर वापस लौटना नहीँ चाहता थाl
एकलव्य ने वन मेँ आचार्य द्रोण की एक प्रतिमा बनायी और धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगाl शीघ्र ही उसने धनुर्विद्या मेँ निपुणता प्राप्त कर ली l
एक बार द्रोणाचार्य अपने शिष्योँ और एक कुत्ते के साथ उसी वन मेँ आएl उस समय एकलव्य धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहे थेl
कुत्ता एकलव्य को देख भौकने लगाl एकलव्य ने कुत्ते के मुख को अपने बाणोँ से बंद कर दियाl कुत्ता द्रोण के पास भागाl द्रोण और शिष्य ऐसी श्रेष्ठ धनुर्विद्या देख आश्चर्य मेँ पड़ गएl
वे उस महान धुनर्धर की खोज मेँ लग गए
अचानक उन्हे एकलव्य दिखाई दिया
जिस धनुर्विद्या को वे केवल क्षत्रिय और ब्राह्मणोँ तक सीमित रखना चाहते थे उसे शूद्रोँ के हाथोँ मेँ जाता देख उन्हेँ चिँता होने लगीl तभी उन्हे अर्जुन को संसार का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाने के वचन की याद आयीl
द्रोण ने एकलव्य से पूछा- तुमने यह धनुर्विद्या किससे सीखी?
एकलव्य- आपसे आचार्य
एकलव्य ने द्रोण की मिट्टी की बनी प्रतिमा की ओर इशारा कियाl
द्रोण ने एकलव्य से गुरू दक्षिणा मेँ एकलव्य के दाएँ हाथ का अगूंठा मांगाl
एकलव्य ने अपना अगूंठा काट कर गुरु द्रोण को अर्पित कर दिया l
कुमार एकलव्य अंगुष्ठ बलिदान के बाद पिता हिरण्यधनु के पास चला आता है l
एकलव्य अपने साधनापूर्ण कौशल से बिना अंगूठे के धनुर्विद्या मेँ पुन: दक्षता प्राप्त कर लेता हैl
आज के युग मेँ आयोजित होने वाली सभी तीरंदाजी प्रतियोगिताओँ मेँ अंगूठे का प्रयोग नहीँ होता है, अत: एकलव्य को आधुनिक तीरंदाजी का जनक कहना उचित होगाl
पिता की मृत्यु के बाद वह श्रृंगबेर राज्य का शासक बनता हैl अमात्य परिषद की मंत्रणा से वह न केवल अपने राज्य का संचालन करता है, बल्कि निषाद भीलोँ की एक सशक्त सेना और नौसेना गठित करता है और अपने राज्य की सीमाओँ का विस्तार करता हैl
इस बीच मथुरा नरेश कंस के वध के बाद, कंस के संबंधी मगध नरेश जरासन्ध शिशुपाल आदि के संयुक्त हमलोँ से भयभीत श्रीकृष्ण मथुरा से अपने भाई बलराम व बंधु बांधवोँ सहित पश्चिम की ओर भाग रहे थेl
तब निषादराज एकलव्य ने श्रीकृष्ण की याचना पर तरस खाकर उन्हेँ सहारा व शरण दियाl
( अधिक जानकारी के लिए पेरियार ललई सिँह यादव द्वारा लिखित एकलव्य नामक पुस्तक पढ़ेँ )
एकलव्य की मदद से यादव सागर तट पर सुरक्षित भूभाग द्वारिका मेँ बस गएl
यदुकुल ने धीरे धीरे अपनी शक्तियोँ का विस्तार किया और यादवोँ ने सुरापायी बलराम के नेतृत्व मेँ निषादराज की सीमाओँ पर कब्जा करना प्रारम्भ कर दियाl
इसी बीच श्रीकृष्ण ने अपनी नारायणी सेना (प्रच्छन्न युद्ध की गुरिल्ला सेना) भी गठित कर ली थीl
अब यादवी सेना और निषादोँ के बीच युद्ध होना निश्चित थाl
यादवी सेना के निरंतर हो रहे हमलोँ को दबाने के लिए एकलव्य ने सेनापति गिरिबीर के नेतृत्व मेँ कई बार सेनाएँ भेजीँl पर यादवी सेनाओँ का दबाव बढ़ता जाता हैl
तब एकलव्य स्वयं सेना सहित यादवी सेना से युद्ध करने के लिए प्रस्थान करते हैँl
बलराम और एकलव्य की सेना मेँ भयंकर युद्ध होता है और बलराम की पराजय होती हैl
बलराम और यादवी सेना को पराजित कर एकलव्य विजय दुंदुभी बजाते हैँ, तभी पीछे से अचानक कृष्ण की नारायणी सेना जो कहीँ बाहर से युद्ध कर लौटी थी, एकलव्य पर टूट पड़ती है l
एकलव्य इस अप्रत्याशित हमले से घिरकर रक्तरंजित हो जाते हैँ l ऐसी ही विकट स्थिति मेँ कृष्ण के हाथोँ महाबली एकलव्य का वध होता है l
अपने महानायक एकलव्य की कृष्ण के हाथोँ मृत्यु से निषाद क्षुब्ध होते हैँ l यदुकुल पतन के बाद उन्हीँ मेँ से एक निषादवीर के द्वारा कृष्ण की हत्या कर दी गई l
इतना ही नहीँ यादवी विनाश के बाद जब श्रीकृष्ण के निर्देशानुसार शेष बचे यदुवंशीय परिवारोँ को लेकर अर्जुन द्वारिका से हस्तिनापुर जा रहे थे
तब बदले की भावना से निषाद-भीलोँ की सेना ने वन पथ मेँ घेरकर भीषण मारकाट मचाई और अर्जुन को पराजित कर पुरूषोँ को बन्दी बना लिया l
साथ ही यदुवंश की सुन्दरियोँ-गोपियोँ का अपहरण कर लिया l
" भीलन लूटी गोपिका,
ओई अर्जुन ओई बाण ll "
Yeh kahani mujhe sab se pahle mere nana ji ne sunayi thi . bachpan se ekalavya mera hero hai
ReplyDeleteeklavya is great hero of indian hestry sadhana singh kashayap
ReplyDeletethere's a lot of fact related to our community. we the young generation why not get unit to achiever our temporary goal. I am really very thankful and glad to read this truth of nishadraj eklavya.
ReplyDeletethanks
Satish Kumar Nishad
(Sr. Software Engg., new delhi)
email id: satishtoweb@gmail.com
mobile: 9891427377
Website: www.nishadshaadi.com
yas sir
DeleteRight from the ancient period the well offs were always preferred over talented havenots. Such discrimination must stop immediately. Only then we will be able to talk of true Socialism. Otherwise it will be taken for granted that we learnt nothing from History & India will go back to feudal period once again.
ReplyDeleteDear
ReplyDeleteAapne Krishna ke hatyare Nishadveer bataya hai Kya inka name evam kulvansh ke bare me bhee Jankari hai yadi hai to batane ka kasht kare.
Thanks
Rajendra
Dear
ReplyDeleteaisa kuch nahi ke humre samaj kise se peeche hai pr ager kuch sampaan loog maded ke liya aage aate be hai to unka sahi sammaan nahi kiya jaata or unhe koi na koi tana maar kar samaaj ke samne uphass ka paataar baniya jaat ahai ... in sb baato ko hume he rookana hoga .....Yogesh turaha
aapne sahi kaha he yogesh g. jb tak khud kuch na kare tb tak kuch nahi hone wala he..
Deleteye blogpost ko dekhkar achha laga
ReplyDeleteadmn. ise update karte rahen ........
Amit Mandal
thank u
Deleteh was a grat hros
ReplyDeletevinod nishad
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ReplyDeletejai kashyap nishad
ReplyDeletejai eklavya
JAI NISHAD RAJ EKTA SAMIT
ReplyDeleteVah Nishad Veer Akhir Kaun Tha Jisne Krishna ko markar Chhal ka badla liya ?
ReplyDeleteuska name Jara(जारा)tha
Deletemy whatsapp no. is7379215561
my name Kundan kumar bind
from kadipur sultanpur
any confusion regarding Nishad history you can talk with me
Thank you admin, aapne jo yah nishad raj eklavya ki kahani post ki hai padhkar bahut achha laga. Veer Eklavya arjun se bade dhanurdhar the. "JAY NISHAD RAJ". Admin aap is blog ko update karte rahe aapka blog padhne me bahut achha lagta hai.
ReplyDeleteNishad raj मै देख रहा हु कि जब कभी भी निषादो की सभाये, सम्मेलन, रैलीया होती है तो पढे लिखे, अच्छे पदो पर कर्यरत, अमीर तबके के निषाद भाइयो का सहयोग नही मिल पाता है। आखिर क्यो आप सभी बुद्धजीवि लोग पिछे हट जाते है क्यो सहयोग से कतराते है? क्यो सभाओ रैलियो मे भाग नही लेते।
ReplyDeletePadhe likhe logo ki sahbhagita kam hai, kintu naganya nahi hai. Hame unse sampark karna hoga aur apna mission batakar sahamat karna hoga.,
DeleteA group for our community on whatsapp to get more knowledge and interesting facts about nishadvansh join it now 9045549783 admin no.
ReplyDeletePlease forward messages me on 9424321754
DeleteThis no. is not connected with whatsapp
DeleteNow connectrd please
Delete9550787489 Bablu
Deletethank you admin. JAY NISHAD RAJ. JAY VEER EKLAVYA.
ReplyDeleteJai nishad raj
ReplyDeleteThank you every one
ReplyDeleteShringberpur is most religious place for Nishad people. Nishad Raj Fort( Kila) is in existance today also, which is protected by Geological Survey of India.I, have visted three times here, recently on 31.07.2015. We the social people have decided to construct a temple of Nishad Raj here. Pillars & Foundation work is in progress . I appeal social people to donate fund for this good cause . People may please contact Mob No. 09424321754.
ReplyDeleteR. R. Nawik
State president
National Association of Fishermen( Rashtriya Nishad Sangh) M.P. Branch , Jabalpur
my facebook ID manjhi nishad kewat verma , IS kahani se hame pure des wasiyon ko jan
ReplyDeleteWe have to support Dr Sanjay Kumar Nishad
ReplyDeletehttp://nishadekta.blogspot.in/2011/01/nishad-raj-eklavya.html
Arun Nishad
Whatsap: 7607564052
Arvindnishad8840@gmail
Deletejai nishadraj
ReplyDeleteNishad raj ki jai
ReplyDeletejay nishad raj--nishadshailendra2604@gmail.com
ReplyDeletekal ke nishad raj eklavya or aaj me bahut antar h.vo akela ye sb kr gye tum sb log ye nhi kr sakte.bcs you are mindless people. are krna h to khud kyo nhi krte khud eklavya kyo nhi bante but nhi badi babdi rajniti krke kuchh nhi pa paoge sivay baba ji ka thullu
ReplyDeleteeklavya sammpurna manav samaj k aadarsh h tum logo jaise chhote vichar vale nahi.bhagvan ko cast se jodkar khud ka apman kr rhe ho tuchh vichar h tumhare nishad ekta
ReplyDeleteHme Garv hai Mallah hone pr.
ReplyDeleteMy Whatsapp no-7549920543
DeleteHme Garv hai Mallah hone p
ReplyDeleteJai nishad raj
ReplyDeleteI request to group admin for joining in this group
my name is Kundan kumar bind
mob no. 7379215561
My ideal is Eklavya.We Ekalavyavanshi can learn a lot from Eklavya the great archer, warrior who stand against social injustice.But I will/have never offered my thumb to Dronocharya.I appeal to all my brothers and sisters of nishad community to develop a fighting spirit of Ekalavya and get recognized in the society.
ReplyDeleteEklavya Jaisa bane socha ko positive rakkho acchi shiksha ke liye struggle Kare aur dusara ke madad kare .Desh ke pragati me bhagidar bane . Brajendra MRI Engineer MRIconcept.com
ReplyDeletejay nishad raj
ReplyDeletejai nishad raj bhaiyo
ReplyDeleteMy whatsaap no. 7380841877
9685330763
We have to suppot Dr.Sanjay kumar nishad,
ReplyDeleteJai nishad raj,
jai eklavya,
jai nishad ekta parishad ....
Huunka utha nishad samaj hum ek hai.
Thank u,
Jai nishad raaj
ReplyDeleteMy whatsapp no. 8120152093
ReplyDeleteदेवब्रत
ReplyDeleteग्राम कटघर पूरे चौहान कादीपुर सुल्तांपुर
मो0 7839101010
सभी निषाद भाइयो से मेरा निवेदन है कि सभी निषाद भाइयो एक जुट होकर अपने मिशन को सफल बनाये और और आज जिन निषाद भाई के पास बडप्पन है उनसे मेरा अनुरोध है कि वे मीटिंग मे भाग लेकर निषाद एकता को सफल बनाये
जय निषाद राज
HUM NISHAD SURU SE KABIL THE PAR INHE DABAYA GYA HAI.
ReplyDeleteAUR AB HUME AVSAR MILA HAI KI APNI PAHCHAN WAPAS LE.
JAI NISHAD RAJ
Mai Sarvesh Nishad....
ReplyDeleteAap sabhi ko suchit karna chahta hu ki aap Sabhi apna naam other list mein jarur karwaye ....
Please this is my special request...
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DeleteSaathiyo, 10 Nov se 14 Nov tak Nishadraj ki rajdhani Shringverpur Allahabad me Ramayan mela aayojit kiya gaya. Jabalpur se ham 6 saathi evam patrik gaon Fatehpur (U. P.) se 7saathi upasthit rahe. Kila dekha, Ramchaura dekha, Nizhadraj ji ki vishal pratima ke darshan, Ganga snan kiya evam mela ka aanand liya. Adhikansh logo ko vaha pahuchna chahiye. Yah mela prativarsh Kartik Shulapaksh ekadsshi se poornima ko hota hai. Saath hi Chaitra Shukla panchami ko Nishad Jayanti ka aayojan hota hai. (R. R. Nawik, Jabalpur 09424321754)
ReplyDeletewah bhai ye kahani to hamko pata hi nahi tha "Thank's" Jai Shree Ram ham sub eak hai...............
ReplyDeletemy name is shambhu dayal kashyap and vill.khetuwapur post sahada nagar distt.sitapur bidhan sabha moholi sitapur ka niwash hunZ)sahi hai mera doston apna nishad log picha han ak nahi job ki 7 fisda walle apni sarkar banaker apna hak laliya or nishad bhaiyon ko baratan majne se fursat nahi hai.chodu sab or apne sarkar banao or apne hak loo bhai andher main kaun year anewall chuna main apne sarkar hoge agar ap loag sath doge 2017 mera mob.9984687380.9956751746 sitapur u.p.
ReplyDeleteकया एकलवय अदीवासी भील था कृपया जानकारी दे
ReplyDeleteGaya prasad sahani, 24 march 2017. Village bharwalia, post belipar,dist gorakhpur. I request all nishad samaj that we have must read the story of eklavya and work to provress of nishad samaj.
ReplyDeletejai nishad............
ReplyDeleteMai JITENDRA NISHAD from GORAKHPUR (,u.p) muje ye story kafi achaa laga par muje deeply jaankari chahiye nishad raj ki.............plise reply me question
ReplyDeleteReally feeling proud to be a "nishad".and EKLAVYA...but I would like to mention that today nishad community is being downtrodden ..it is socially and economically very backward and at present no govt. takes any major step to rise their status in PANINDIA .
ReplyDeleteVeer Eklavya ....ki jai ho
ReplyDeleteThe best regards:
MRI Concept Biomedical OPC Pvt LTD
www.MRIconcept.com
इस वर्ष भी श्रंगवेरपुर इलाहाबाद (इलाहाबाद_फाफामऊ_सोरांव-भगौतीपुर) लखनऊ राजमार्ग दूरी 35 किमी) में 31 अक्टूबर से 4 नवंबर तक राष्ट्रीय रामायण मेला का आयोजन किया गया है। जबलपुर से मैं अंबेडकर नगर (यू पी) से महेन्द्र निषाद साथियों सहित पहुंचेंगे। आप सब सादर आमंत्रित हैं। 9424321754 जय निषादराज।
ReplyDeleteजय निषाद राज
Deleteजय निषाद राज
ReplyDeleteसाथियों:-
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसका स्पष्ट ध्येय सत्ता परिवर्तन, नीति, सिद्धान्त एव विशेष प्रकार की कार्यप्रणाली है। उद्देश्यपूर्ति हेतु अनुशासित कार्यकर्ताओं की खोज एवं पार्टी कार्यकारणी गठन हेतु पहले पूरे देश एवं प्रदेश में राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के माध्यम से ऐतिहासिक, सामाजिक, वैचारिक, राजनैतिक और वोटर कैडर से निर्बलों, शोषितों एवं वंचितो को जानकार, समझदार, ज्ञानवान एवं होशियार बनाकर अनुशासित कार्यकर्ताओ की फौज तैयार किया है।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसमें कई प्रदेशो तथा उत्तर प्रदेश के लगभग ज्यादातर जिलो के सैकड़ो लोग मिलकर 2015 में "निर्बल ईण्डियन शोषित हमारा आम दल" कार्यकारिणी गठन कर निर्वाचन आयोग से 16 अगस्त 2016 पंजीकृत कराकर 2017 में विधान सभा चुनाव लड़ाकर राजनैतिक चेतना विहिन समाज में चेतना लाकर एक सीट जितकर, 50 सीटो पर बेहतर प्रदर्शन कर 70 वर्षों का जंगल राज खत्म कर दिया।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसने कांग्रेस, सपा, बसपा, भाजपा के एजेन्टों, तितरों तथा समाज में पल रहे विभीषणों का जो कहते थे कि डाॅ. संजय निषाद जी पार्टी नहीं बनायेंगे, पंजीकृत नहीं करायेंगे, जब पार्टी पंजीकृत हो गयी तब कहने लगे चुनाव चिन्ह नहीं मिलेगा, किसी पार्टी को समर्थन कर देंगे पार्टी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष पर आदि आदि आरोप लगाने एवं समाज को गुमराह करने वाले ये भ्रष्ट राजनैतिक पार्टीयों के सौदागरों की दुकान बंद कराकर वंचित समाज को राजनैतिक हथियार देकर मजबूत किया है।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जो वंचित समाज को उनका संवैधानिक हक हिस्सा, आरक्षण दिलाने हेतु 17 फरवरी 2014 सीएम हाऊस लखनऊ, 7जून 2015 रेल रोको आन्दोलन गोरखपुर, 27 मार्च 2017 जन्तर-मंतर दिल्ली एवं हर महिने जिलाधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन संघर्ष करते हुए 2019 के लोक सभा चुनाव जितने हेतु अनुशासित कार्यकर्ताओं को शिक्षित-प्रशिक्षित कर प्रदेश कमेटी, मंडल, जिला, विधान सभा तथा बूथ लेवल कमेटी गठन की प्रक्रिया लगातार चलाती रहती है।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जहां बिना गुमराह हुए अनुशासित लोग अपने परिवार सहित माया, मुलायम, योगी, मोदी के जंगलराज खत्म करने एवं अपना खोया हुआ गौरवशाली इतिहास वापस पाने के लिए रात दिन मेहनत कर रहे है। ऐसे सभी कार्यकर्ताओ को समाज हमेशा याद करेगा।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसमे बहुत लोग अपने परिवार सहित पार्टी के पदाधिकारी बनकर जिला स्तर पर अपने सक्षम पदाधिकारी से सम्पर्क कर प्रशिणोपरान्त क्षमतानुसार जिम्मेदारी लेकर कैडर के सभी गुणों को विकसित कर ईमानदारी से अनुशासन में रहकर लक्ष्य प्राप्ति हेतु दिन रात काम कर रहे है।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसमे लक्ष्य प्राप्ति हेतु दुश्मन पार्टीयों को परास्त करने के लिए पार्टी को शक्तिशाली बनाने हेतु प्रत्येक कार्यकर्ता को अपने सीमित साधन-संसाधनो से प्रतिदिन पार्टी के उद्देश्य,विचारधारा, निति, कार्यप्रणाली एवं सिद्धान्त का प्रचार-प्रसार कर कार्यक्रम, कार्यकर्ता एवं कोष का निर्माण कर आगे लक्ष्य तरफ बढ़ रहे है।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसमें सुचिता एवं पंजीकरण नियमितिकरण हेतु पदाधिकारी द्वारा लिये गये रसीदों का लेखा-जोखा आय-व्यय एवं अन्य विवरण समय-समय आयोजित मिंटीगों, अधिवेशनो, शिक्षण-प्रशिक्षण कैडर कैम्पों तथा कार्यालयो में जमाकर अनुशासन का परिचय देते है। जो अब निर्वाचन आयोग द्वारा अधिकृत लेखा परिक्षक से परिक्षण कराकर जमा कराना आसान है।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसके पास वंचित समाज के भविष्य निर्माण सुनियोज योजनाएं है।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी जिसका उद्देश्य सिर्फ समाज को ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक श्रोतों की जानकारी देकर उनका अधिकार दिलाने हेतु उन्हीं समाज से समय, पैसा, बुद्धि, हुनर को पार्टी के विकास मे लगाना।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसमें हजारों शिक्षित-प्रशिक्षित वक्ता तैयार कर भाजपा सपा बसपा कांग्रेस के कुटिल चाल व चरित्र को उजागर कर सचेत करना।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसमें उपेक्षित समाज के सभी उपजातियों को सवैधानिक लोकतांत्रिक तरिके से चयनित कर जिम्मेदारी के अनुसार कार्य करने का अवसर मिलता है।
N.I.S.H.A.D पार्टी देश में पहली एक ऐसी पार्टी है जिसमें अनुशासनहीनता करने वाले को भी सुधरने के अवसर दिये जाते है। अति और अन्त होने पर ही अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाती है।गुमराह करने वालो से सावधान रहे!
जय निषाद राज
ReplyDelete#दनकोैर_उतरप्रदेश
दनकौर:-निषाद पुत्र एकलव्य का इतिहास आज भी मौजूद है l
भारत निषादों के ऐतिहासिक धरोहरों का देश रहा है। हर राज्य में किसी न किसी निषाद युग की प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत समाई हुई है। ऐसा ही एक धार्मिक आस्था का केन्द्र है #दनकौर। मान्यता है कि पूरे भारत में एक मात्र दनकौर में निषाद राजा एकलव्य , कौरव और पांडवों के गुरू रहे द्रोणाचार्य का मंदिर है। देश-विदेश से लोग इस मंदिर में आते हैं।
पहले दनकौर था द्रोणकौरः दनकौर के नामकरण की सार्थकता के संबंध में लोग बताते हैं कि इस स्थान का नाम प्राचीन काल में द्रोणकौर था। जो कि समय बीतने के साथ-साथ दनकौर हो गया।
निषादराज पुत्र एकलव्य ने इसी स्थान पर अपने गुरू द्रोणाचार्य की प्रतिमा बनाकर महाभारत काल में धनुर्विद्या का कुशल अभ्यास किया था। गुरू द्रोणचार्य द्वारा शिक्षा-दीक्षा न दिए जाने पर भी एकलव्य ने अपनी आस्था के कारण गुरू द्रोण को अपना गुरू स्वीकार कर लिया था। जब एकलव्य यहाँ शिक्षारत था तब एक बार गुरु द्रोण अपने शिष्यों के साथ इधर से निकल रहे थे ,उनके रास्ते में एक कुत्ता उन पर भौंक रहा था । एकलव्य वहीँ कहीं जंगल में थे,वो गुरु द्रोण को पहचानते थे निषादराज पुत्र एकलव्य ये देखकर बहुत गुस्सा आया कि एक कुत्ता उसके गुरु पर भौंक रहा है तो उसने अपने बाणों से उस कुत्ते का मुंह भर दिया जिससे उस कुत्ते का मुँह खुला का खुला रह गया । इसी मान्यता को सिद्ध करता हुआ एक गाँव भी है पास में जिसका नाम है #मुँहफाड़ । उसी घटना के बाद गुरु द्रोण को एकलव्य और उसकी धनुर विद्द्या के विषय में पता चला । यहीं पर गुरू द्रोणाचार्य ने अर्जुन के समक्ष निषाद पुत्र एकलव्य से अपनी गुरू दक्षिणा में उसके दाहिने हाथ का अंगूठा काट लिया था।
दनकौर में गुरु द्रोण को समर्पित एक खूबसूरत मंदिर है जहां गुरु द्रोणाचार्य की वो मूर्ति भी है जो एकलव्य ने बनाई थी लेकिन ये मूर्ति मिट्टी की नहीं पत्थर की है और उस जगह पर आज भी गुरू द्रोणाचार्य का विशाल मंदिर बना हुआ हैl मंदिर परिसर में ही एकलव्य पार्क भी है जो रखरखाव की उपेक्षा झेल रहा हैl
कैसे पहुँचे दनकौर :-
दनकौर बहुत छोटा सा क़स्बा है ! दिल्ली से करीब 40 किलोमीटर और ग्रेटर नॉएडा से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर बसा ये क़स्बा आम भारतीय कस्बों जैसा ही शांत दीखता है ! ग्रेटर नॉएडा और नॉएडा उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जनपद में आते हैं और दनकौर भी इसी जनपद में है ! जाने के लिए आप ग्रेटर नॉएडा के परी चौक से कासना होते हुए जा सकते हैं या फिर अगर अपना व्हीकल है तो आगरा जाने वाले यमुना एक्सप्रेसवे से जाना ज्यादा बेहतर है एक्सप्रेस वे से गलगोटिया यूनिवर्सिटी के सामने से कट लीजिये और बस कुछ ही दूर दनकौर पहुँच जाइये । दनकौर ऐसा स्थान है जहां आप 2 घंटे में ही पूरा क़स्बा आराम से देख लेंगे । अनोखा तालाबः मंदिर के पास एक विशाल तालाब है,जिसे द्रोणाचार्य तालाब के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि यह तालाब भी निषाद एकलव्य के समय से मौजूद है। बताया जाता है कि अगर इस पूरे तालाब को पानी से भर दिया जाये तो डेढ़ या दो घंटे में ही यह तालाब खाली हो जाता है। कहा जाता है कि अंग्रेजी शासकों ने इस तालाब का बखूबी परीक्षण किया था l
पर्यटन स्थल घोषित करने की मांगः-
एकलव्य व द्रोणाचार्य मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने की मांग कई बार शासन से की जा चुकी है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। श्री द्रोण पर्यटन संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि दनकौर की आबादी 3 लाख के करीब है, किंतु इस कस्बे को अभी तक तहसील का दर्जा भी नहीं मिल सका है।
असल में ये द्रोण सिटी नहीं है , यहाँ एकलव्य ने मूर्ती की स्थापना करके गुरु द्रोण को साक्षात् मानकर धनुर विद्या सीखी थी इसलिए मुझे लगता है इसका नाम #एकलव्य सिटी होना चाहिए था l
जय निषाद राज
डॉ. संजय निषाद जिंदाबाद
राष्ट्रिय निषाद एकता परिषद् जिंदाबाद
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गुलामों को गुलामी का एहसास कराती है यह पोस्ट
ReplyDeleteये पोस्ट उन शुद्रो को उनकी औकात बताने के लिये समर्पित है जो ब्याज पर कर्जा लेकर कांवर ढोते है, रामायण/महाभारत का तो कीर्तन पाठ करवाते है पर सम्मानित जीवन जीने का अधिकार देने वाले संविधान को नही पढ़ते , अपनी गुलामी की बेड़ियों को खुद मजबूत करते है और फर्जी सीना फुलाकर घूमते है...
शूद्र(obc sc st) की हिन्दू धर्म में क्या हैसियत है ???
1 - यह जो ब्राम्हण, क्षेत्रीय, वैश्य व शूद्र जो विभाजन है वह मेरा द्वारा ही रचा गया है।
- गीता 4-13
2 - मेरी शरण में आकर स्त्री ,वेश्य , शूद्र भी जिन कि उत्त्पति पाप योनि से हुइ है परम गति को प्राप्त हो जाते है। भगवत गीता 9-32
3 - शूद्र का प्रमुख कार्य तीनो वर्णो की सेवा करना है।
- महाभारत 4/50/6
4 - शूद्र को सन्चित धन से स्वामी कि रक्षा करनी चाहिये। - महाभारत 12/60/36
5 - शूद्र तपस्या करे तो राज्य निर्धनता में डूब जायेगा।
- वाo .रामायण 7/30/74
6- ढोल .गवार .शूद् पशु नारी |
सकल ताड़ना के अधिकारी ||
- रामचरित मानस 59/5
7- पूजिये विप्र सील गुन हीना, शूद्र न गुण गन ग्यान प्रविना।
-रामचरितमानस 63-1
8- वह शूद्र जो ब्राम्हण के चरणो का धोवन पीता है राजा उससे कर TAX न ले।
- आपस्तंबधर्म सूत्र 1/2/5/16
9 - जिस गाय का दूध अग्निहोत्र के काम आवे शूद्र उसे न छुये। कथक सन्हिता 3/1/2
10- शूद्र केवल दूसरो का सेवक है इसके अतिरिक्त उसका कोइ अधिकार नही है।
- एतरेय ब्राम्हण 2/29/4
11- यदि कोइ ब्राम्हण शूद्र को शिक्षा दे तो उस ब्राम्हण को चान्डाल की भाँति त्याग देना चाहिये।
- स्कंद पुरान 10/19
12 - यदि कोइ शूद्र वेद सुन ले तो पिघला हुआ शीशा, लाख उसके कान में डाल देना चाहिये।
यदि वह वेद का उच्चारण करे तो जीभ कटवा देना चाहिये। वेद स्मरण करे तो मरवा देना चाहिये।
गौतम धर्म शूत्र 12/6
13 - देव यज्ञ व श्राद्ध में शूद्र को बुलाने का दंड 100 पर्ण।
विष्णु स्मृति 5/115
14 - ब्राम्हण कान तक उठा कर प्रणाम करे, क्षत्रिय वक्षस्थल तक, वैश्य कमर तक व शूद्र हाथ जोड़कर एवं झुक कर प्रणाम करे।
आपस्तंब धर्म शूत्र 1,2,5,/16
15 - ब्राम्हण की उत्पत्ति देवता से, शूद्रो की उत्पत्ति, राक्षस से हुइ है।
तेत्रिय ब्राम्हण 1/2/6/7
17 - यदि शूद्र जप ,तप, होम करे तो राजा द्वारा दंडनिय है।
गौतम धर्म सूत्र 12/4/9
17- यज्ञ करते समय शूद्र से बात नहीं करना चाहिये।
शतपत ब्राम्हाण 3;1/10
18- जो शूद्र अपने प्राण, धन तथा अपनी स्त्री को, ब्राम्हण के लिए अर्पित कर दे ,उस शूद्र का भोजन ग्राहय है।
विष्णु पुराण 5/11
👉महाभारत"कहती है - शूद्र राजा नहीं बन सकता।
👉"गीता" कहती है - शूद्र को ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्यों की गुलामी करनी चाहिए ।
👉"रामायण" कहती है - शूद्र को ज्ञान प्राप्त करने पर मृत्युदंड मिलना चाहिए ।
👉"वेद" कहते है कि शूद्र ब्रह्मा के पैरोँ से पैदा हुआ है इसिलिये वो नीच है ।
👉"मनुस्मृति" के अनुसार - शूद्र का कमाया धन ब्राह्मण को बलात् छीन लेना चाहिए ।
👉"वेद" कहते है - शूद्र का स्थान ऊपर के तीनों वर्णों के चरणों में है।
👉"पुराण" कहते हैं - शूद्र केवल गुलामी के लिए जन्म लेते हैं ।
👉"रामचरित मानस" कहती है - शूद्र को पीटना धर्म है ।
फिर भी एक सहनशील "शूद्र" अब भी इन हिंसक धर्म ग्रंथो और इन देवी देवताओं को सीने से लगाए फिरता है ।
जो कि घोर मूर्खता के अलावा कुछ नही -
Sahi Hai Dosto Aaj Humko Hum logo ko sab log Sab Se nijat samajhte Hain lekin unko pata nahi hai kya Mila sabse upar hai मैं तो यही कहूंगा दोस्तों की नहीं सांसों को सबसे ऊपर पहुंचाया जाए जय निषाद राज आई एम दीपक बिंदु आप सभी दोस्तों को हाथ जोड़कर प्रणाम हम दोस्तों बस यही चाहते हैं कि हमारा हक हमको मिले और हमको कुछ नहीं चाहिए जय निषाद राज
ReplyDeleteजय निषाद राज भाई लोगों
ReplyDeleteNishad bhaiyo mera aapke bas yhi Khan h ki aap log Kya nhi samjhate ho ki hmare poorvajo me ki dukh uthaya tha tb jakr is desh ko aajadi dilai or ab bataiye ki khi bhi aap nishad bhaiyo ka naam liya jata h ab samh h ab jago or apni nishad party ko majboot kro or use khoob sara sahyog do jisse aapke poorvajo ke apman ka bdla liya ja ske
ReplyDeleteHm or hmari nishad party aap logo ko sage lana chahti h ye tbhi Sambhav hoga jb aap log hmko or hmari party ko apni vote ki takat se use sahyog kre thank you
Er. Manojkumar nishad
Bill. Babugarh mathura up
Wa ye sab sun aanand aa gya
ReplyDeleteHum nishadon ke bahut achhe
Bhagya hain
Wa ye sab sun aanand aa gya
ReplyDeleteHum nishadon ke bahut achhe
Bhagya hain
Hiya. Nishad. Raj. Vijay. Kumar
ReplyDeleteJaynishadraj
ReplyDeleteJnr
ReplyDeleteKya jai shrew Krishna me ye sb dikhaya hI
ReplyDeleteJay veer eklavya ...Lekin kabhi kisi tv serial aadi me complete story nahi publish karte sirf apne ko hi great batate h...
ReplyDeleteAdv Bhoomitra Nishad
समाज को गुमराह न करे निषाद सूद्र नही होते है । इसका प्रमाण ये है कि माता होलिका (होली) जो निषाद वंश की थी उनकी पूजा घर घर मे होती है।
ReplyDeleteराजा बली जैसे लोगो ने इस वंश को सुशोभित किया है।।
Jay nishad Raj
ReplyDeleteYaduvanshi are heroes story is fake
ReplyDeleteMai Nishad Hu hmare Deoria dist me mahine 1raili hamesha hota hai hamare idhar Ekta hai jai Nishad Raj
ReplyDeleteMadarchod Kya ulta pulta likha hai re ..
ReplyDeleteNisaad ki gaand me itna dam nahi tha ki vo yadavo ko parajit kare
Yadav apas me lad kar mare the ..
Or us nisad ne Sri Krishna ke ke pairo me lage padm ko jo chamaj rahi thi
Use socha ki vah hiran ki ankh hai ..
Us par nishana sadha.. or Sri Krishna ne jo vachan
Raam ke rup me bali ko diya tha uska
Vachan nibhaya
To gali q bak rha h be
DeleteYha gali gloch mt kro
Tere yadavo ke v gand me itna dam ni to jo nishado ka kuch ukhad pata smjha aur gali gloch mt kiya kro
DeleteKon hai ye yadav jo apna parichay Sudra ke jaisa hi de rha h is 20century me bhi😀😀
DeleteKaise Nishad aap log ho jo apni hi jati ko chchota smajhte ho. Jis eklave aur nishadraj guha jaise mohan log hamare purwaj hain firbhi apne ko kiyon chchota samjhte hain.
ReplyDeletekya kabhi kisi raja ne chchoti jati se apne vivah sambandh banay hain, Raja Santnu ne nishad kanya se vivah kiya thaa jiska parman mahabharat kaal se milta hai.
hum hammari cast koi chchoti nahi hai. hame garve hona chahiye apni cast per.
अगर हिन्दू धर्म में रहना निषादों के आत्मसम्मान के विरुद्ध है तो मै निश्चित रूप से कहना चाहूंगा कि को इस धर्म को छोड़ दे जैसा की कालांतर में लोग करते आए । परन्तु अर्थ का अनर्थ न करें। कृष्ण मथुरा छोड़ कर इसलिए गए कि राजा का स्वयं का अहंकार जनहित से छोटा होना चाहिए युद्ध की विभीषिका से अपने प्रजा कि बचाने के लिए उन्हें रंछोर दास कहलवाना भी उचित लगा जो एक महामानव कर सकता है। द्रोण ने को किया वो अपने धर्म के अनुसार किया और उसका दंड भी उन्हें अपयश और युद्ध में बुरी मौत पाकर मिला। कृष्न पर वान किसी निषाद ने नहीं बल्कि एक बहेलिया ने चलाया था जो कि एक ऋषि के श्राप का परिणाम था। भगवान कृष्ण स्वयं यादव वंश का अहंकार नाश करना चाहते थे जैसे गांधी जी आजादी के बाद कोंग्रेस को समाप्त करना चाहते थे क्योंकि उस समय यादव बलशाली और धर्म विमुख हो गए थे। अपने मुंह मिया मिट्ठू न बनिए और आपके लेखक पेरियार कुछ भी लिख दें तो वह सत्य नहीं हो जाता है। कुछ नहीं तो कम से कम निषाद राज गुह से शिक्षा लीजिए को भगवान राम के मित्र और भक्त थे।
ReplyDeleteMene to chod diya h bas ram ji ko mamta hoon na ki hindu dhrm ko
DeleteNishad bheel se kaise alag ho gye
ReplyDeleteKoi reason btaiye
Kripya Utube me Rajaram Nawik search karen evam Nishadraj Dham se sambandhit videos dekhen.
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