आरक्षण की मांग कर रहे निषाद समुदाय के लोगों का स्टेशन पर हंगामा

उत्तर प्रदेश गोरखपुर में बीती देर रात निषाद आंदोलनकारियों ने रेलवे स्टेशन के बाहर जमकर हंगामा मचाया. ये सभी वाराणसी में होने वाली पीएम मोदी की रैली में आरक्षण की मांग को लेकर हंगामा करने जा रहे थे.

इन सभी को वाराणसी जाने वाली चौरीचौरा एक्सप्रेस पर निषाद आंदोलनकारियों को चढ़ने से रोका गया था. इस दौरान पुलिस से भी तीखी झड़प हुई और आंदोलनकारियों ने जमकर नारेबाजी की.
मामला बिगड़ता देख एसपी सिटी ने कई थानों की पुलिस बुलवा ली.
लेकिन पुलिस को जैसी इस बात की सूचना मिली सभी को स्टेशन पर रोक लिया गया. वहीं आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन उनकी आवाज लाठी के बल पर दबाने की कोशिश कर रहा है.
आरक्षण की मांग कर रहे निषाद समुदाय के लोगों का स्टेशन पर हंगामा
निषाद समुदाय के लोग इस समय आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इससे पहले भी सहजनवां थाना इलाके में कसरवल के पास रेलवे ट्रैक जाम कर दिया था. इस दौरान एक शख्स की मौत भी हो गई थी और पुुलिस ने 36 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
जिसके बाद पूरे प्रदेश में निषाद समुदाय के लोगों ने आंदोलन शुरू कर  दिया है.

via 

News18 | Anil Singh | Thu Jul 16, 2015 | 



कौन था वो अखिलेश, जो आरक्षण की लड़ाई में मारा गया? ब्यूरो मंगलवार, 9 जून 2015 अमर उजाला, गोरखपुर बीएससी तृतीय वर्ष का छात्र था अखिलेश आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष में इटावा रहने वाले के बीएससी तृतीय वर्ष के छात्र अखिलेश कुमार निषाद की गोली लगने से मौत हो गई थी और उसी के गांव का गणेश सिंह निषाद घायल हो गया था। अखिलेश के पेट में गोली लगने से पुलिस द्वारा हवाई फायरिंग किए जाने पर सवाल खड़े हो गए थे। सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंचे अखिलेश के साथियों ने बताया कि एक अफसर के बगल में खड़े पुलिस वाले ने पिस्टल से अखिलेश पर गोली चलाई थी। आरक्षण की मांग कर रहे निषाद समुदाय के लोगों को रविवार को मगहर में रेलवे ट्रैक से हटाने के दौरान पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच संघर्ष हो गया था। पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठी चार्ज कर दिया था। इस दौरान इटावा के अखिलेश कुमार निषाद और गणेश सिंह निषाद को गोली लग गई थी। जिसमें अखिलेश की मौत हो गई। जबकि गणेश दाहिनी आंख के नीचे गोली लगने से घायल हो गया माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी था अखिलेश अधिकारियों ने पुलिस द्वारा हवाई फायरिंग किए जाने की बात कहते हुए अखिलेश को गोली लगने की घटना को जांच का विषय बताया था। सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंचे अखिलेश के साथ प्रदर्शन में शामिल युवकों ने आरोप लगाया कि एक अफसर के बगल में खड़े वर्दीधारी ने पिस्टल से गोलियां चलाई थीं, जिसकी एक गोली अखिलेश को और एक गणेश को लगी थी। आरक्षण की मांग को लेकर रेलवे ट्रैक जाम करने के दौरान मारा गया अखिलेश माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी था। होनहार अखिलेश ने अपनी पढ़ाई के साथ गांव में स्कूल भी खोल रखा था और गांव के अन्य बच्चों को पढ़ाता था। 'उसकी वह हंसी हमेशा याद रहेगी' अखिलेश इटावा के बकेवर क्षेत्र के मड़िया दिलीप नगर निवासी आत्माराम निषाद का इकलौता बेटा था। अखिलेश की बड़ी बहन रंजना की शादी हो गई है जबकि संध्या और वंदना दो छोटी बहनें हैं। राज बहादुर डिग्री कॉलेज लखना इटावा से बीएससी तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे अखिलेश ने गांव में वीर एकलव्य विद्या मंदिर के नाम से स्कूल खोल रखा था। गांव के 14 लोगों के साथ आंदोलन में शामिल होने के लिए छह जून की शाम गोरखपुर के निकला था। इटावा से गोमती एक्सप्रेस से सभी 14 लोग लखनऊ पहुंचे और वहां से बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में सवार होकर सात जून की सुबह गोरखपुर पहुंचे। गोरखपुर से गोंडा पैसेंजर ट्रेन से ये लोग मगहर पहुंचे थे। 'अखिलेश की मौत की खबर ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है। पूरे परिवार में अखिलेश सबसे होनहार था। गोरखपुर आते समय हंसते हुए मिला था। उसकी वह हंसी हमेशा याद रहेगी।' -अमृत कुमार, चचेरा बड़ा भाई

2 hrs · All India Nishad...

Nishad Andolan

पुलिसबल सहित एसपी डीआईजी के घायल होने की खबर पूर्णतया फर्जी है। सरकार को गुमराह करने के लिए पुलिस और प्रशासन ने हमले की कहानी गढ़ी है। उल्टा पुलिस ने पथराब किया और भयंकर लाठी चार्ज किया जिससे लोगों में रोष फ़ैल गया।
 पुलिस के दमनात्मक रवैये का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि पुलिस के एक बड़े अफसर ने डॉ संजय निषाद की सफारी गाडी खुद फूँक दी।

Nishad

जिस निषाद का खून ना खौले
 खून नहीं वह पानी है
 जलवंशी के काम ना आए
 वह बेकार जवानी है

वोट, साजिश और रामभुआल


आनंद सिंह/विनीत/ गोरखपुर
बसपा के पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद को आजकल जिस पुलिसिया कार्रवाई से दो-चार होना पड़ रहा है, उसके पीछे के सियासी मकसद को समझना बेहद जरूरी है। यह वह सियासी मकसद है, जिसकी बदौलत 15 लाख में से लगभग पांच लाख वोटरों का वोट बैंक कब्जाने की रणनीति काम कर रही है। चौंकिए मत! गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में निषादों का वोट बैंक सबसे बड़ा है। हर पार्टी अपने हिसाब से इस वोट बैंक पर कब्जा करना चाहती है। ऐसे में अगर रामभुआल निषाद (जैसा उनके समर्थक कहते हैं) को बेवजह घसीटा जा रहा है, तो कोई अचरज नहीं। सियासत के इस खेल में जो जीता, वही सिकंदर।
कौन जीता, कौन हारा : क्या फर्क पड़ता है कि अगर अखिलेश की पुलिस हेमंत पुजारी गैंग के कुख्यात शूटर पप्पू निषाद की अर्जी पर रामभुआल को गिरफ्तार करने के लिए लगातार हाथ-पैर मार रही है। यह बात अलग है कि पुलिस की हर कार्रवाई की सूचना रामभुआल को समय से मिल जाती है, जिससे अब तक वह पुलिसिया गिरफ्त से बाहर हैं। सूचना यह भी है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से गिरफ्तारी के खिलाफ उन्होंने स्थगन आदेश ले लिया है। संभव है, जब आप इस खबर को पढ़ रहे होंगे, रामभुआल आपके बीच मौजूद रहें। हालांकि, सियासत की इस लड़ाई में जीत किसकी होगी, हारेगा कौन, कुछ नहीं कहा जा सकता है।
तूफान की आहट : पुरानी कहावत है, चाय की प्याली और होठों के बीच कभी भी तूफान आ सकता है। जमुना निषाद के मरने के बाद निषादों की राजनीति को सहेजने वाले जिस चेहरे की कमी यह समाज महसूस कर रहा था, वह भी लगभग पूरी हो रही है। निषाद समाज धीरे-धीरे ही सही, रामभुआल को अपना नेता मानने लगा है। इस पुलिसिया कार्रवाई के दौरान सबसे बड़ी बात यही हुई कि बिरादरी के नाम पर जो लोग अब तक रामभुआल की खिलाफ थे, वे भी 17 मई को जिलाधिकारी कार्यालय में आयोजित बैठक में दिखे। वैसे भी, पिछले दो विधानसभा चुनाव परिणामों पर गौर करें, तो निषाद वोटर का ध्रुवीकरण साफ-साफ दिखता है। यह अचरज तो पैदा करता है, लेकिन है सत्य। पूर्वांचल की अधिकांश लोकसभा और विधानसभा सीटों पर निरूाादों की भूमिका निर्णायक है।
अहम हैं निषाद : 2012 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल की लगभग सभी सीटों को निषाद वोटरों ने प्रभावित किया। यह वोट बैंक ‘पॉवरहाउस’ के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। इसने सियासी मठाधीशों के होश फाख्ता कर डाले हैं। यही वजह है कि पूर्व मंत्री और बसपा के गोरखपुर संसदीय क्षेत्र के प्रभारी रामभुआल निषाद को एक खास रणनीति के तहत 7 मई को कैंट थाना क्षेत्र के छात्रसंघ चौराहे पर हेमंत पुजारी गैंग के शूटर पप्पू निषाद पर हुए जानलेवा हमले में अभियुक्त बनाया गया। पुलिस द्वारा रामभुआल को अभियुक्त बनाए जाने के अलग-अलग निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। निषाद वोटों की अच्छी समझ रखने वाले एक चिंतक का कहना था कि जिस प्रकार जमुना निषाद को वोट बैंक की खातिर प्रताड़ित किया गया था, वैसी ही हरकत रामभुआल के खिलाफ भी की जा रही है। इसका फायदा आने वाले दिनों में रामभुआल को ही मिलेगा, जैसे जमुना को मिला था।
जमुना की राह पर रामभुआल : करीब दो दशक पहले तक निषाद समाज अलग-अलग पार्टियों के वोट बैंक रहे। जमुना निषाद ने अपनी राजनीतिक करियर के शुरुआत से ही निषादों को एकजुट करने का प्रयास किया।
शुरुआती असफलता के बावजूद जीवट व्यक्तित्व के धनी जमुना ने हार नहीं मानी। उनका मानना था कि वह अभी अपने समाज के लोगों को जगा रहे हैं। जिस दिन निषाद (केवट, मल्लाह, मांझी) जाग जाएगा, अपनी शक्ति पहचान को पहचान जाएगा, उस दिन पूर्वांचल की सभी सीटों को प्रभावित करने की स्थिति में होगा। जमुना ने पिपराईच और पनियरा विधानसभा सीटों पर और गोरखपुर लोकसभा सीट पर कई बार अपनी किस्मत अजमाई, लेकिन सफलता नहीं मिली। लेकिन हर बार मिली हार के बाद, वह दोगुने उत्साह से अपनी मुहिम में जुट जाते थे। लोगों से कहते थे, ‘चिंता मत करो, अभी हमारा समाज धीरे-धीरे जाग रहा है। पूरी तरह से जागने के बाद ही सिस्टम में चेंज होगा। हो सकता है कि अगली बार वह उठ खड़ा हो।’ आखिरकार, 2007 के विधानसभा चुनाव में वह अपने समाज को जगाने में सफल हुए। इस चुनाव में बसपा के टिकट पर जमुना ने तत्कालीन सपा सरकार के मंत्री और लगातार 15 वर्षों से पिपराईच के विधायक रहे जितेंद्र जायसवाल उर्फ पप्पू भैया को पराजित कर दिया।
पप्पू को हराने और निषादों के कद्दावर नेता होने के कारण मुख्यमंत्री मायावती ने उन्हें मत्स्य एवं सैनिक कल्याण राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया। जमुना की इस सफलता ने यहां के मठाधीशों के कान खड़े कर दिए। तब तक जमुना निषादों के रहनुमा बन चुके थे। इधर, मंत्री बनने के बाद भी जमुना अपने समाज के लोगों के सुख-दुख में जाना नहीं भूले थे।
महराजगंज की एक निषाद बालिका के साथ उसी गांव के एक युवक ने दुष्कर्म किया। युवक दबंग परिवार का था। उसके प्रभाव के कारण पुलिस ने मामले की लीपापोती कर दी, जिससे दुष्कर्मी युवक बच गया। बालिका के परिजनों ने पूरे मामले की जानकारी जमुना निषाद को दी। लोगों के सुख-दुख में उनके साथ खड़े रहने वाले नेता ने महराजगंज में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक से वापस लौटते समय पुलिस पर उचित कार्रवाई के लिए दबाव बनाने के लिए महाराजगंज कोतवाली गए। इसी बीच   किसी ने फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में एक सिपाही की मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में जमुना निषाद सहित आठ लोगों को अभियुक्त बनाया था। मजे की बात यह है कि इस मामले में जमुना को छोड़ बाकी सात अभियुक्त दो माह के भीतर ही जमानत पर जेल से बाहर हो गए, पर जमुना को 28 माह बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद जमानत मिली। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे मजेदार बात यह रही कि फायरिंग में मारे गए सिपाही के परिवार वालों को सरकार ने 35 लाख रुपये का मुआवजा दिया था, जबकि पीड़ित युवती को सरकार ने भुला दिया। कहते हैं, उसे एक चवन्नी की भी सरकारी मदद नहीं दी गई। महराजगंज कोतवाली कांड के बाद जमुना के खिलाफ हुई पुलिसिया कार्रवाई से निषाद समाज काफी मर्माहत हुआ था।
सबकी नजर वोट पर : जमुना दो साल पूर्व दिवंगत हो गए। निषाद समाज में उनका स्थान लेने की होड़ होने लगी। रामभुआल उस समय भी निषाद समाज के दूसरे नंबर के कद्दावर नेता थे। हालांकि, उनकी वह पूछ नहीं थी। इसी बीच फिल्मों-धारावाहिकों में काम करने वाली काजल निषाद, निर्मला पासवान, सुरेंद्र निषाद जैसे लोग आए, जो किसी भी तरीके से निषाद समाज पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहते थे। इनकी नजर में पांच लाख वे वोटर थे, जो एक बार हांक देने से ही उन्हें वोट दे देते, पर ऐसा हो न सका। हालात बदले। रामभुआल को विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति मिली, तो काजल रास्ते में आ गर्इं। यह बात काजल समर्थक भी भली-भांति जानते थे कि काजल चुनाव नहीं जीत सकेंगी, पर रामभुआल चुनाव जीत जाएं, यह भी पप्पू निषाद और काजल निषाद को मंजूर नहीं था।
लिहाजा, काजल निषादों के उस वोट को काटने की एक मशीन बन गई, जिन्होंने पिछले चुनाव में रामभुआल को वोट दिया था। नतीजा सबके सामने है। निषाद वोट बंट गए और काजल और रामभुआल, दोनों ही चुनाव हार गए।
रामभुआल को सहानुभूति : नए समीकरण में रामभुआल को सहानुभूति ज्यादा मिल रही है। वह गोरखपुर सीट से लोकसभा के उम्मीदवार चुने गए हैं। बड़ी चालाकी के साथ उन्होंने 7 मई वाले घटनाक्रम में मीडिया में अपनी बात रखी और अब तो पुलिस के भी कुछ लोग यह मानने लगे हैं कि रामभुआल को बदले की भावना से फंसाया जा रहा है, जबकि बात उस स्तर की है ही नहीं। एक पुलिस वाले का कहना था, ‘पप्पूआ कौन सुधरल बा? ओके का करल जात बा?’ जाहिर है, पुलिस वालों में भी निषाद वोटरों की ठीक-ठाक संख्या है और ड्यूटी बजाने के बाद वे भी एक सिविलियन ही हो जाते हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में थोड़ी चतुराई दिखाते हुए रामभुआल अगर चाह लें, तो वह गोरखपुर जिले के निषाद वोटरों के बीच जमुना के असली उत्तराधिकारी साबित हो सकते हैं। अगर ऐसा हो गया, तो 2014 के लोकसभा चुनाव के परिणाम कुछ और भी हो सकते हैं।

मेहनत मजदुरी पैसा मौत

100/- रु रोज मजदुरी । 8 घण्टे रोज मेहनत। 20/- रु का रोज दारु । हजारो का रोज मौत । मजदुरो की यही है दास्ता । 

एक प्रश्न आपसे अगर आपके पास रहने के लिये घर न होका, खाने के लिये भोजन न मिलता, पहनने के लिये कपडे न होते तो आप क्या करते । 100रु पर रोज मजदुरी या चोरी या नक्शलवादी होते । क्या आपके पास जवाब है।

निषाद सभाओँ का कड़वा सच



दोस्तोँ क्या आप जानते हैँ
निषाद सभा मेँ बुद्विजीवियोँ को
बोलने के लिए कितना समय
मिलता है ?


मै 25 से ज्यादा बार
निषाद सभाओँ मेँ गया हूँ

इस आधार पर मैँ
कहता हूँ

निषाद सभा मेँ बुद्विजीवियोँ को
बोलने के लिए समय
मिलता है


केवल 2 मिनट


बुद्विजीवी माने क्या ??
बुद्विजीवी से मेरा मतलब
है निषाद समाज के वे लोग
जो सरकार द्वारा आयोजित
कम से कम 5 अलग अलग
प्रतियोगी परीक्षा मेँ बैठ चुके होँ
और किसी एक परीक्षा मेँ
उन्हेँ सफलता मिली हो



निषाद समाज के इन बुद्विजीवियोँ
के पास निषादोँ को देने
के लिए कुछ बुद्वि और
सुझाव है


ये वे लोग हैँ जो
चक्रव्यूह के सातोँ द्वारोँ
को तोड़ना जानते हैँ



आखिर क्या चाहते हैँ बुद्विजीवी ???
15000 वेतन पाने वाले
और 10 से 5 आफिस मेँ
डयूटी करने वाले
बुद्विजीवी मात्र इतना चाहते हैँ
कि जब भी कहीँ निषाद सभा
या सम्मेलन हो
तो मँच पर बुला कर
1 घंटा उन्हेँ भी बोलने
दिया जाय


पर दोस्तोँ असलियत क्या है ????

आप खुद किसी निषाद
सभा मेँ जाकर देख
सकते हैँ
इन्हेँ मंच तक पहुँचने
ही नहीँ दिया जाता

और अगर कुछ बुद्विजीवियोँ
को मौका भी मिलता है
तो 2 मिनट का


2 मिनट मेँ 120 सेकेण्ड
होते हैँ

10 सेकेण्ड मंच तक पहुचने
मेँ लगते हैँ

10 सेकेण्ड मंच से वापस
उतरने मेँ लगते हैँ

शेष बचा समय = 100 सेकेण्ड


15000 वेतन पाने वाले
और 10 से 5 आफिस मेँ
डयूटी करने वाले
बुद्विजीवी
को केवल 100 सेकेण्ड
मेँ बतानी होती है
कि आखिर निषाद समाज
क्यूँ पिछड़ा है
कैसे और कब से हो रहा है
उनके साथ अन्याय
और सबसे जरूरी बात
क्या है उपाय ???


पर घबराइए मत दोस्तोँ
अब हम मुन्नाभाई जैसे
चुटकुलोँ पर काम कर
रहे है
जिन्हेँ सुनाने मेँ
100 सेकेण्ड से कम
का वक्त लगता है


2 मिनट बाद निषाद
जाति के कार्यकर्ता
चिल्लाने लगते है :
"अबे साले मंच से
उतरेगा की नहीँ,
टाइम खत्म, नेता लोग
का अब नाच गाना सुनने
का मन है
अब नाच गाना होगा "

मंच सजने लगता है
बुद्वजीवी कहता है
"भाई जब तक मंच
सज रहा है मुझे कुछ
बोलने दो "

निषाद
जाति के कार्यकर्ता :
"माधरचोद तेरे को नेताजी
ने भाषण सुनने को बुलाया है
या भाषण देने के लिए"


15000 वेतन पाने वाले
और 10 से 5 आफिस मेँ
डयूटी करने वाला
बुद्विजीवी
मंच से उतर जाता है


फिर मंच पर आते हैँ
कव्वाल
पहले दारू की बोतल
खोल कर दारू पीयेगेँ
फिर गाना चालू होगा

"का होई निरहू
पढाई ये बचवा
लेता 2 ठे बकरी
जिआई ए बचवा"


नेता को पूरी छूट
चाहे 5 घंटे के सम्मेलन
मेँ 3 घंटा भाषण देता रहे

भाषण चालू होता है
एक ठे रहेन राम जी
जब जंगले मेँ गएन
तो मिले निषादराज
बोलो जय निषादराज
एक ठे रहेन एकल्वय
बोलो जय एकल्वय

मायावती ने हमको
केवल पाँच टिकट दिया
सारे समाज का वोट
मायावती को जाना
चाहिए

मुलायम के समर्थक नेता
जब मंच पर आते हैँ
तो

मुलायम ने हमको
केवल छ: टिकट दिया एक ज्यादा दिया
सारे समाज का वोट
मुलायम को जाना
चाहिए


15000 वेतन पाने वाले
और 10 से 5 आफिस मेँ
डयूटी करने वाले
बुद्विजीवी
किसी कोने मेँ बैठा
रो रहा है
आखिर रविवार
की छुट्टी थी
घर पर रह कर आराम करता


अगली सभा मेँ उसे देखते
ही निषाद जाति के नेता
इस आदमी को पहले
घसीट कर सभा से बाहर करो


आखिर मंच पर
बुद्विजीवियोँ को
क्यूँ नहीँ बोलने देते
निषाद जाति के नेता :
कारण है डर
निषाद जाति के नेता
सोचते हैँ अगर बुद्वीजीवियोँ को
मंच से बोलने देगेँ तो
15000 वेतन पाने वाले
और 10 से 5 आफिस मेँ
डयूटी करने वाले
बुद्विजीवी
अपनी अपनी नौकरियाँ
छोड़ कर चुनाव
लड़ना चालू कर देगेँ
और फिर तब उनको
समाज मेँ कोई नहीँ पूछेगा
उनका राजनीतिक कैरियर
तबाह बरबाद हो जाएगा

दोस्तोँ इस लेख को
निषाद समाज के हर
नेता को पढकर सुनाओ
ताकि जब 5 घंटे
की सभा मेँ
3 घंटा उन्हेँ बोलने
को मिले

उन्हेँ कोई पद नहीँ चाहिए
बस इतनी सी विनती
बुद्विजीवियोँ के समय
का दायरा 100 सेकेण्ड से
कुछ बढ़ा दिया जाए

written by Amit Nishad

जनलोकपाल और निषाद

कभी सोचा है कि अगर
अन्ना का जनलोकपाल कानून 
बन जाए तो निषाद 
समाज को क्या फायदा 
होगा ?


मैँ कहता हूँ कुछ नहीँ


जी हाँ कुछ नहीँ


भष्ट्राचार मिट जाएगा तो 
जाति प्रमाण पत्र
राशन कार्ड
पासपोर्ट
सब आसानी से बन जाएगा


पर जब 1000 IAS अधिकारियोँ की भर्ती होगी तो आबादी के हिसाब से न्यूनतम 200 अधिकारी निषाद समाज से नहीँ जा पाएगेँ

अन्ना के जनलोकपाल कानून 
बनने के बाद भी
निषाद समाज के 
महज 2 या 3 ही लोग
ही IAS बन पाएगे 


जब डिग्री कालेजोँ मेँ 1000
शिक्षकोँ की भर्ती होगी तो आबादी के हिसाब से न्यूनतम 200 शिक्षक निषाद समाज से नहीँ जा पाएगेँ

अन्ना के जनलोकपाल कानून 
बनने के बाद भी
निषाद समाज के 
महज 1 या 2 ही लोग
ही डिग्री कालेज मेँ
शिक्षक बन पाएगे


पता कीजिए आपके 
कालेज मेँ कुल कितने 
शिक्षक है
क्या 24.3 प्रतिशत शिक्षक
निषाद समाज के हैँ ?


इसके लिए हमेँ भगत सिँह राजगुरू चंद्रशेखर आजाद आदि का समाजवाद लाना होगा


via Amit Nishad

14.5 प्रतिशत नौकरियाँ निषादोँ को मिलनी चाहिए

उत्तर प्रदेश मेँ निषाद 
समाज की वास्तविक 
आबादी पैँतालिस प्रतिशत (45 PERCENT) है


उत्तरप्रदेश का कोई
ऐसा गाँव शहर मोहल्ला नहीँ जहाँ
निषाद समाज के लोग नहीँ रहते


जब आरक्षण देने के 
लिए जाति आधारित
जनगणना की गई तो
निषाद समाज की आबादी का 
कुल प्रतिशत लगभग 40 आया 


उच्च जातियोँ को लगा
कि अगर समाजवाद
के नियमोँ के मुताबिक
अगर इन्हेँ आरक्षण देना पड़ा
तो 40 प्रतिशत का आरक्षण देना पड़ेगा


इसे रोकने के लिए उच्च जातियोँ 
के पास केवल रास्ता था
ठाकुर ब्राह्मण पंडित
आदि 
उच्च जातियोँ की आबादी
सरकारी आकड़ोँ मेँ
बढ़ा कर
बताया जाय और
निषाद व अन्य जातियोँ
की आबादी जितना 
ज्यादा घटा सकेँ 
उतना ज्यादा घटा
दिया जाए


सारी तिकड़म करने के बाद भी
सरकार सरकारी आकड़ोँ 
मेँ हमारी जाति की 
आबादी 40 प्रतिशत
से
घटकर
22 प्रतिशत हो गई


पर ये निषाद समाज को
22 प्रतिशत भी नहीँ
देना चाहते थे

उन्होने निषाद समाज
की 
7.5 प्रतिशत उपजातियोँ
को घुमन्तु घोषित कर
दिया


जी हाँ

घुमन्तु

यानी एक जगह से
दूसरी जगह घूमने
वाले


और जो एक जगह से
दूसरी जगह घूमने
वाले हैँ जिनका कोई 
निश्चित ठिकाना
नहीँ था
उनका जाति प्रमाण
पत्र नहीँ बनाया जा
सकता


उन्हेँ किसी भी प्रकार का
आरक्षण आज तक
प्राप्त नहीँ है 


निषाद समाज को अलग
से 14.5 प्रतिशत ना देकर
अन्य पिछड़ा वर्ग मेँ
रख दिया गया

और जो 14.5 प्रतिशत
नौकरियाँ
निषादोँ को मिलनी
चाहिए थी
उसमेँ से केवल 0.5
प्रतिशत ही मिल पाता है

बाकी कि 14 नौकरियोँ
पर यादव जाति के
युवकोँ का कब्जा 
हो जाता है


घुमन्तु आरक्षण
मागने तो जाए मार
कर भगा दिया जाएगा
"सालोँ घुमन्तु की जाति
घुमोँ फिरो ऐश करो

नौकरियोँ आदि मेँ हिस्सा
मागोगे तो जमीन मेँ 
दफन कर दिए जाओगे "

अगर आप ब्लाग
लिखते है तो अपने 
ब्लाग पर इसे पोस्ट करेँ

अगर आप नेता हैँ
तो अपने गाँव के
लोगोँ को बताए
via Amit Nishad

समाजवाद क्या है ?

समाजवाद क्या है ?

समाज मेँ सभी जातियोँ और वर्गोँ का सरकारी तंत्र मेँ उनकी आबादी के अनुसार उचित प्रतिनिधित्व

ये परिभाषा समाजवाद के पिता कार्ल माकर्स की है l ऐसी ही परिभाषा हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के क्रांतिकारी भगत सिँह ने भी दी है

उत्तर प्रदेश मेँ निषाद समाज की सभी उपजातियोँ की आबादी इतनी है कि 404 विधान सभा की सीट मेँ से न्यूनतम 80 निषाद समाज की सभी उपजातियोँ से चुनी जानी चाहिए

खुद को समाजवाद के मुताबिक बताने वाली समाजवादी पार्टी ने क्या निषाद समाज के 80 उम्मीदवारोँ को टिकट दिए हैँ 

अगर नहीँ तो हटा दो ये समाजवादी शब्द पार्टी के नाम से

सपा का नया नाम = जातिवादी पार्टी

बसपा का नया नाम = बपा बहुजन पार्टी

आइए आने वाली 26 जनवरी को संकल्प ले की समाजवाद के नाम पर अन्याय पूर्ण व्यवस्था को नहीँ सहेगेँ
जिस समाजवाद के लिए भगत सिँह आजाद जैसे लोगोँ ने जान दी वो आकर रहेगा



दोस्तोँ जिस दिन गाँव 
गाँव मेँ निषाद समाज
ने एक एक जिन्दा 
बच्चे औरत आदमी 
को जाति को गिन कर
गुपचुप तरीके से
"जाति रजिस्टर" बना लेगी
और फिर सारे आकड़ोँ को जोड़ेगी

उसे पता चलेगा कि
उत्तरप्रदेश मेँ 60 प्रतिशत 
निषाद समाज के लोग हैँ


निषाद समूह के कुछ बुद्विजीवी 
लोगोँ का अनुमान कहता है
उत्तरप्रदेश मेँ 
चाहे जैसे जोड़ो 
न्यूनतम 45 प्रतिशत 
निषाद समाज है

जरा सोचो तब क्या
होगा जब निषाद समाज को
पता चलेगा कि
उत्तरप्रदेश मेँ 60 प्रतिशत 
निषाद समाज के लोग हैँ


अगर विधानसभा की 
60 प्रतिशत सीटेँ
निषाद समाज को दे 
दी जाए

केवल आधी सीटेँ चाहिए सरकार बनाने के लिए


आने वाले 1000 सालो
तक निषाद उत्तरप्रदेश पर राज्य करेँगेँ


आने वाले 1000 सालो
तक उत्तरप्रदेश का हर
मुख्यमंत्री निषाद होगा
हर मंत्री निषाद होगा

हर मंत्रालय के प्रमुख 
की कुर्सी पर निषाद 
बैठा होगा


पर कैसे होगा ये सब
आजादी मिले 65 साल 
हो गए और हमारी जाति
के नेता एक जाति 
रजिस्टर नहीँ बना पाए


अपने गाँव के नेता एक 15 रूपए
की रजिस्टर नोटबुक



क्या आप अपने नेता 
को एक 15 रूपए की 
कापी खरीद कर नहीँ दे सकते ?


निषाद समाज के नेता 
से कहो
लिस्ट बनाए उन सब की जो आगामी मतदान मेँ वोट
देने वाले हैँ

देखना तुम्हारे गाँव मेँ 
हर कोई वोट देने जाएगा

ठाकुर पंडित यादव 
बम्बई दिल्ली गए 
अपने रिश्तेदारोँ को 
भी आने जाने का टिकट और पाँच सौ 
रूपए भेज कर बुला 
लेते हैँ

मतदाता सूची लेकर बैठो
एक एक चेहरे के बारे
मेँ पता लगाओ
वो गाँव मेँ किसके घर 
का है और कहाँ रहता है

अपने दादा जी से पूछो
क्या ये ठाकुर
आपके गाँव मेँ पैदा हुआ था

ध्यान से देखो

सनसनीखेज खुलासे होगेँ

अपने आप को उत्तरप्रदेश मेँ
50 प्रतिशत
बताने के लिए 
इन्होने अपने परिवार
के सदस्योँ की संख्या 
बढा कर लिखाई है

हमारे गाँव मेँ अजय सिँह
के दो बेटे हैँ
मतदाता सूची मेँ इनके
18 बेटे और बेटियोँ के
नाम दर्ज हैँ

दोस्तोँ क्या 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीँ मिलना चाहिए


नहीँ बिल्कुल गलत बात


हर जाति को उसकी आबादी के हिस्सा से
हिस्सा मिलना चाहिए


अगर किसी राज्य मेँ ठाकुर ब्राह्मण की आबादी केवल 2 प्रतिशत है तो उस राज्य मेँ ठाकुर ब्राह्मणोँ को 2 प्रतिशत से ज्यादा सीटेँ नहीँ लेनी चाहिए

आबादी केवल 2 प्रतिशत
फिर भी ठाकुर ब्राह्मण चाहते है कि 50 प्रतिशत सीटेँ सामान्य वर्ग अर्थात ठाकुर लाला ब्राह्मण से भरी जाएँ


क्या ये शहीद भगत सिँह राजगुरू आजाद के समाजवाद के सपने को चकनाचुर करना नहीँ है

क्या ये देश के साथ द्रोह नहीँ कर रही

एक नज़र में गुरु द्रोणाचार्य जी

एक बार निषाद कुमार एकलव्य गुरु द्रोण के पास आया और उनसे उसे अपना शिष्य बनाने का आग्रह किया। किंतु द्रोण ने ये कहकर उसे अपना शिष्य नहीं बनाया की वह क्षत्रिय भी नहीं है और राजपुत्र भी, पर उसे ये वरदान दिया की वो यदि उनका स्मरण करके अस्त्र विद्या सीखेगा तो उसे अपने आप ज्ञान आता जायेगा। एकलव्य गुरु द्रोण की मिट्टी की मुर्ति बनाकर धनुर्विद्या का अभ्यास करता रहा और इस प्रकार एकलव्य बहुत बडा़ धनुर्धर बन गया। एक दिन जब एकलव्य अभ्यास कर रहा था तो एक कूकर (कुत्ता) भौकने लग जिससे उसका ध्यान भंग हो रहा था। इसपर उसने बडी़ कुशलता से बाणों द्वारा बिना हानि पहुँचाए कूकर का मुख बंद कर दिया। जब वह कूकर वहाँ से भाग रहा था तो द्रोण और उनके शिष्यों ने उसे देखा और सोच मे पड़ गये की कौन इतनी कुशलता से कूकर का मुख बंद कर सकता है। तब वे खोजते हुए एकलव्य के पास पहुँचे। वह वहाँ गुरु द्रोण कि मुर्ति के आगे अभ्यास कर रहा था। त द्रोण द्वारा अपने सबसे प्रिय शिष्य अर्जुन का स्थान छिनता देखकर उन्होंने एकलव्य से गुरुदक्षिणा में उसके दाएँ हाथ का अंगूठा माँग लिया और एकलव्य ने हर्षपुर्वक अपना अंगूठा काट कर अपने गुरु को भेंट कर दिया।

गौरवशाली रहा है निषाद समाज का इतिहास



गौरवशाली रहा है निषाद समाज का इतिहास
जौनपुर: बिहार के सांसद कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद ने कहा है कि निषाद समाज का गौरवशाली इतिहास रहा है। आज समाज को इस बात की जरूरत है कि वह अपने अतीत को जाने और उसी आधार पर आगे बढ़े। वे शुक्रवार को निषाद राज जयन्ती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी अपने इतिहास से शिक्षा लेकर समाज को विकास के रास्ते पर ले जा सकती है।
निषाद संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष और कार्यक्रम के आयोजक तिलकधारी निषाद ने कहा कि हमारा समाज बगैर शिक्षा के आगे नहीं बढ़ सकता है। सभी की जिम्मेदारी है कि बच्चों को अच्छी तालीम दिलायें ताकि उनका, समाज का और देश का भविष्य उज्ज्वल हो सके। इससे पूर्व निषाद जयन्ती के अवसर पर एक जुलूस सद्भावना सेतु से निकला। यह जुलूस ओलन्दगंज होते हुए अम्बेडकर तिराहे पर पहुंचा। वहां सभा का आयोजन किया गया। प्रारम्भ में सभी का स्वागत महिला मोर्चा की अध्यक्ष श्रीमती प्रेमा देवी ने किया।
इस अवसर पर डा.राजेन्द्र प्रसाद बिन्द, शेखर निषाद, मुरलीधर निषाद, शोभनाथ आर्य, राजकुमार निषाद सभासद, प्यारेलाल निषाद, रामहित निषाद, राम किशुन निषाद, प्रदीप कुमार आदि ने विचार व्यक्त किया।

11 January 2012 » प्रदेश भाजपा मत्स्य प्रकोष्ठ कार्यसमिति की घोषणा

रांची : भारतीय जनता पार्टी मत्स्य प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक दीपक कुमार निषाद ने आज प्रदेश कार्यसमिति की घोषणा कर दी है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रकोष्ठ के सदस्य ब्रजनेश चंद्र विद्य्नार्थी ने आज यहां बताया कि कार्यसमिति में सह संयोजक विनोद चौधरी, विजय नायक, पप्पू साहनी के अलावा सदस्य के रुप में वरुण कुमार मंडल, भोला प्रसाद, सुरेश निषाद, दीपक कैवते, लखन कैवर्त, मधुसूदन कैवर्त, विजय नायक, रामप्रवेश नायक, संजीव नायक, सरयू निषाद को शामिल किया गया है। आमंत्रित सदस्य के रुप में अरुण मंडल, डॉ. राज कुमार, बिरजू निषाद, शंकर निषाद, अशोक निषाद, रवींद्र साहनी, महेश निषाद, विनोद कुमार प्रसाद, हरि नारायण साहनी, किशोरी राम केवट, उपेंद्र मांझी, सूरज कुमार धीवर, प्रवीण केवट, डॉ. जेपी निषाद, युगल किशोर निषाद, हुल्लास चौधरी, मोतीलाल सरकार, सोमनाथ महलदार, अमरजीत केवट, मनोज केवट, जीतेंद्र केवट, हरि केवट, अम्बिका चौधरी, अशोक चौधरी, बच्चन चौधरी शामिल है। जिला संयोजक के तहत रांची ग्रामीण की जिम्मेवारी सुनील नायक, लोहरदगा की जिम्मेवारी रघुनाथ महली, गुमला में नवलकिशोर सिंह खैरवार, सिमडेगा में दिलीप केवट, खूंटी में लखेंदर नायक, पश्चिम सिंहभूम में रतन निषाद, सरायकेला-खरसावां में कृष्णा कैवर्त, जमशेदपुर महानगर में नीलू देवी मछुआ, पूर्वी सिंहभूम ग्रामीण में विरेन धीवर, गढ़वा में दशरथ चौधरी, लातेहार में रामलगन सिंह खरवार, चतरा में अन्नु निषाद, हजारीबाग में विनोद निषाद, रामगढ़ में चरण केवट, कोडरमा में विजय निषाद, गिरिडीह में नोखेलाल मल्लाह, बोकारो में बैजनाथ केवट, धनबाद में अजय निशाद, जामताड़ा में बोमबल धीवर, गोड्डा में कामेश्वर केवट, साहेबगंज में कृपनाथ मंडल उर्फ बमबम और पाकुड़ में द्वारिका मंडल को जिम्मेवारी सौंपी गयी है।

सपा महिला सभा की जिला समिति हुई घोषित


चित्रकूट(एस.बी.न्यूज)13 जनवरी। समाजवादी महिला सभा ने जिला कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है। कार्यकारिणी में दस जिला सचिव समेत 31 महिलाओं को जगह दी गई है।
समाजवादी महिला सभा की जिलाध्यक्ष उर्मिला निषाद ने शुक्रवार को पार्टी के जिला कार्यालय में जिला कार्यकारिणी की घोषणा की। उन्होंने बताया कि राजापुर निवासी सविता मोदनवाल को उपाध्यक्ष, ग्राम मन कुंवार की निवासी मनोरमा सिंह को जिला महासचिव और सविता कोटार्य को जिला कोषाध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा गोलकी सोनकर, शारदा मोदनवाल, चंद्रकली वर्मा, चुन्नी देवी निषाद, चुनकी देवी प्रजापति, बिट्टी निषाद, नूरजहां, पार्वती शुक्ला, बेबी निषाद, चमेलिया निषाद को जिला सचिव तथा चुन्नी देवी सोनकर, चच्ची, मीरा निषाद, गुलसनिया, शहरुन्निशा, मुन्नी देवी, रामा देवी जायसवाल, नथिया देवी निषाद, गीता देवी, नथिया देवी वर्मा, मालती देवी विश्वकर्मा, रामदुलारी कोटार्य, रुखशाना, लक्षमिनिया, रन्नू बेगम, चमेलिया निषाद व तुलसा देवी विश्वकर्मा को कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है।
इस मौके पर सपा जिलाध्यक्ष राजबहादुर सिंह यादव, उपाध्यक्ष शक्ति प्रताप सिंह तोमर, मोहम्मद गुलाब खां, राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला, नरेन्द्र गुप्ता,जिला सचिव फूलचंद्र करविरया, अभिषेक निषाद, राजकुमार त्रिपाठी, सत्य नारायण कोल आदि मौजूद रहे।